Azadi ka Amrit Mahatsav
Bank of Maharashtra

आरंभ…

भारतीय उपमहाद्वीप में रणनीतिक अवस्थिति और अपने वृहत प्राकृतिक संसाधनों की वजह से महाराष्ट्र में काफी लंबे समय से वाणिज्यिक गतिविधियों का लंबा इतिहास रहा है।
महाराष्ट्र एक प्रगतिशील क्षेत्र रहा है और इस क्षेत्र में बैंकिंग गतिविधियां भी बहुत पहले आरंभ हो गई थी। ऐतिहासिक रूप से, 1840 में स्थापित बैंक ऑफ बॉम्बे, महाराष्ट्र का पहला वाणिज्यिक बैंक था। हालांकि, मुंबई से बाहर महाराष्ट्र में स्थापित पहला वाणिज्यिक बैंक पुणे में 1889 में स्थापित दी पूना बैंक था, जिसके बाद 1890 में डेक्कन बैंक और 1898 में बॉम्बे बैंकिंग कंपनी की स्थापना की गई।
पहले विश्व युद्ध के प्रारंभ से मंदी के कारण भारत में बैंकों में भारी गिरावट आई। 1914 और 1935 के बीच देश में लगभग 380 बैंक विफल हुए, जिनमें से 54 बॉम्बे प्रांत में ही स्थित थे। इन असफलताओं का महाराष्ट्र क्षेत्र में अत्यधिक असर पड़ा क्योंकि लंबे समय से प्रतिष्ठित कुछ बैंक भी बंद हो गए।
भारी मंदी का प्रभाव धीरे-धीरे कम होने लगा और बैंकिंग सहित अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में नई उम्मीदों के साथ नए उद्यम उभरने लगे।

महाराष्ट्र के लिए एक स्वतंत्र बैंक की आवश्यकता महसूस की जाने लगी

1934 में पुणे में मराठा चेंबर ऑफ कॉमर्स (एमसीसी) की स्थापना हुई और इसके संस्थापक सचिव श्री ए. आर. भट अत्यधिक दूरदर्शी थे।
श्री भट ने एमसीसी की स्थापना के कुछ ही महीनों के भीतर लोकमान्य तिलक की स्मृति में जारी केसरी समाचार पत्र के विशिष्ट अंक के माध्यम से क्षेत्र में उपलब्ध बैंकिंग सेवाओं की एक व्यापक समीक्षा आरंभ की। उन्होंने सुनिश्चित किया कि उनके मित्र श्री वी पी वर्दे, जिन्हें सहकारिता आंदोलन के दिग्गज के रूप में जाना जाता था, महाराष्ट्र के लिए एक अलग बैंक की आवश्यकता पर लेख लिखें ताकि इस विषय पर सार्वजनिक चर्चा आरंभ की जा सके। हालांकि श्री वर्दे के लेख को कोई उल्लेखनीय प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई, किन्तु श्री ए आर भट ने व्यापार और उद्योग के दिग्गजों के साथ इस विषय पर चर्चा करना जारी रखा।
श्री भट ने सुनिश्चित किया कि मराठा चेम्बर और इसके निदेशक ने इस मुद्दे पर चर्चा करें और फरवरी 1935 में एमसीसी की ओर से पुणे में व्यापार और उद्योग पर एक सम्मेलन आयोजित किया गया।
"महाराष्ट्र में व्यापार और उद्योग को पूंजी प्रदान करने के लिए, यह आवश्यक है कि एक संयुक्त स्टॉक वाणिज्यिक बैंक स्थापित किया जाए। इसलिए, मराठा चेंबर अनुरोध करता है कि इस संबंध में सभी आवश्यक जांच की जाए और ऐसे बैंक का आरंभ करने के लिए उचित कदम उठाए जाएं। महाराष्ट्र में व्यापार समुदाय से इस प्रयास का समर्थन करने का आग्रह किया जाता है। "
20 वीं शताब्दी के पहले दशक के स्वदेशी आंदोलन ने महाराष्ट्र में भारतीय प्रबंधन के तहत कई वाणिज्यिक बैंकों की स्थापना को प्रोत्साहित किया।
एमसीसी ने उप-समिति का गठन किया जिसमें सर्वश्री वी. जी. काळे, डी. के. साठे, एन. जी. पवार, जी. डी. आपटे और ए. आर. भट शामिल थे।
समिति की पहली बैठक 19 मई 1935 को केसरी मराठा कार्यालय के सम्मेलन कक्ष में आयोजित की गई थी और समिति के सदस्यों के अलावा, श्री बाबासाहेब कामत, एमसीसीआई के तत्कालीन अध्यक्ष जे एस करंदीकर, राजाभाऊ जैसे शहर के प्रमुख व्यक्ति गोडबोले, गोविंदराव पंडित, दमुआन्ना पोतदार, एस.आर.सरदेसाई, बाबूराव गोखले और एन.एन. क्षीरसागर सहित अन्य लोगों ने विचार-विमर्श में भाग लिया।
व्यापक सार्वजनिक प्रतिनिधित्व वाली उप समिति की एक और बैठक 27 मई 1935 को केसरी मराठा कार्यालय के मीटिंग हॉल में हुई और प्रस्तावित बैंक के बोर्ड में निदेशकों की संख्या (अधिकतम 11 सदस्य) जैसे मामलों पर निर्णय लिया गया। प्रत्येक शेयर (50/- रुपये) और निदेशक बनने के लिए प्राथमिक शर्त (न्यूनतम 500 शेयर रखने के लिए) ली गई थी।

औपचारिक रूप से बैंक का पंजीकरण 16 सितंबर, 1935 के शुभ दिन भारतीय कंपनी अधिनियम के अंतर्गत किया गया।

19 promoters (Sarvashri)

बैंक के ज्ञापन और अंतर्नियमों पर निम्नलिखित 19 प्रवर्तकों ने हस्ताक्षर किए। (सर्वश्री)

निदेशक मंडलअन्य
1. प्रो. वी. जी. काळे1. ए. आर. भट
2. डी. के. साठे2. एस. एम. जोशी
3.बी. एम. गुप्ते3. बी. एस. कामत
4. एन. जी. पवार4. एस. आर. राजगुरु
5. वी. टी. रानडे5. आर. एन. अभ्यंकर
6. वी. पी. वर्दे6. टी. वी. साने
7. एम. आर. जोशी7. डी. जी. बापट
8. एस. जी. मराठे8. जी. एस. मराठे
9. रघुनाथराव सोहोनी9. डी. डी. चितळे
10. डी. वी. पोतदार

गवाह हस्ताक्षरकर्ता : श्री जी. डी. आपटे

First Board of Directors

दी बैंक ऑफ महाराष्ट्र लि. के पहले निदेशक मंडल में निम्नलिखित सदस्य शामिल थे।

प्रो. वी. जी. काळे, इंडियन टैरिफ बोर्ड के पूर्व सदस्य और पुरानी पीढ़ी के प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री और शिक्षाविद।
श्री डी. के. साठे, एक व्यावसायी और प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता तथा सहकारी बैंकिंग का अनुभव प्राप्त।
श्री बी. एम. गुप्ते, पूना सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष
एन. जी. पवार, इंजीनियर व कॉन्ट्रैक्टर
श्री वी. टी. रानडे, मे. वी. आर. रानडे एंड सन्स, इंजीनियर्स व कॉन्ट्रैक्टर्स की एक अग्रणी फर्म
श्री वी. पी. वर्दे, सहकारिता आंदोलन के एक अग्रणी नेता और जिन्होंने आंदोलन को प्रोत्साहन दिया श्री एम. आर. जोशी, पुणे के एक अग्रणी पेपर मर्चेंट
श्री एस. जी. ऊर्फ अण्णासाहेब मराठे, मे. वी. आर. रानडे एंड सन्स
श्री रघुनाथराव सोहोनी, एक प्रमुख व्यापारी जिन्होंने बैंक ऑफ महाराष्ट्र के गठन के संकल्प का आरंभ किया।