सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) योजना, 1968 की मुख्य विशेषताएं
बैंक ऑफ महाराष्ट्र की सभी शाखाओं में पब्लिक प्रॉविडेंट फंड योजना, 1968 (पीपीएफ) खाता खोला जा सकता है।
खाता कौन खोल सकता है :
- कोई भी व्यक्ति किसी भी बैंक में पीपीएफ खाता खोल सकता है। इसकी अवधि 15 वर्ष होती है।
- योजना के अंतर्गत केवल व्यक्ति ही खाता खोल सकते हैं। 13 मई, 2005 से न्यायवादी व्यक्तियों यथा एचयूएफ, ट्रस्ट, प्रॉविडेंट फंड आदि को खाता खोलने की अनुमति नहीं है। तथापि, यह नोट किया जा सकता है कि उपर्युक्त संशोधन 13.05.2005 के पहले खोले गए खातों पर लागू नहीं होता है तथा ये खाते परिपक्वता तक ही जारी रहेंगे।
- एक नाम से केवल एक खाता खोला जाना चाहिए। यदि गलती से दो खाते खोले जाते हैं तो दूसरे खाते को अनियमित खाते के रूप में माना जाएगा तथा इस पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा, जब तक कि स्थानीय लघु बचत कार्यालय के माध्यम से वित्त मंत्रालय के अनुमोदन से दोनों खातों का समामेलन नहीं किया जाता।
- अवयस्क के बदले पिता या माता द्वारा खाता खोला जा सकता है। एक ही अवयस्क के लिए माता और पिता द्वारा अलग-अलग खाता नहीं खोला जा सकता। अवयस्क के माता-पिता के जीवित होने पर अवयस्क पोते/ पोती के बदले दादा/ दादी द्वारा खाता नहीं खोला जा सकता। यदि माता-पिता जैसे कोई भी जीवित न हो या जीवित माता-पिता में से जो जीवित हों उनके कार्य करने में असमर्थ रहने पर, कुछ समय के लिए अवयस्क की संपत्ति की देखभाल करने हेतु कानूनी रूप से अधिकृत व्यक्ति द्वारा ऐसे अवयस्क के बदले पीपीएफ खाता खोला जा सकता है।
- खाते के परिपक्व होने के पहले अवयस्क के वयस्क हो जाने की स्थिति में भूतपूर्व अवयस्क द्वारा उसके बाद स्वयं खाते को जारी रखा जाएगा। उसके द्वारा खाता खोलने के लिए संशोधित आवेदन प्रस्तुत किया जाएगा। उसके हस्ताक्षर का साक्ष्यांकन अभिभावक या एक सम्मानित व्यक्ति, जिसे बैंक जानता हो, द्वारा किया जाएगा।
- यह खाता संयुक्त नामों में नहीं खोला जा सकता।
- खाते को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के पास हस्तांतरित नहीं किया जा सकता।
- अनिवासी भारतीय योजना के अंतर्गत खाता खोलने हेतु पात्र नहीं हैं।
परिपक्वता पर व्यवहार :
- खाते की परिपक्वता के बाद लाभ को बिना क्षति पहुंचाए एक या 5 वर्षों के ब्लॉक के लिए उसे बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए खाताधारक को परिपक्वता के दिनांक से एक वर्ष की अवधि के भीतर लिखित रूप में खाते को बढ़ाने का विकल्प दिया जाना चाहिए।
- यदि अंशदाता एक वर्ष के भीतर खाते को बढ़ाने हेतु अपना विकल्प लिखित रूप में देने में असफल होता है लेकिन खाते में जमा करना जारी रखता है तो उन जमाराशियों को अनियमित जमाराशि के रूप में माना जाएगा तथा उस पर कोई ब्याज नहीं दिया जाएगा।
- अंशदाता द्वारा खाते के परिपक्व होने के बाद उसमें बिना कोई जमा किए किसी भी अवधि तक खाते को रखा जा सकता है। इसके लिए लिखित रूप में विकल्प देने की आवश्यकता नहीं है। खाते में रखी राशि पर समयानुसार पीपीएफ खातों के लिए लागू सामान्य दर पर ब्याज मिलता रहेगा। अंशदाता द्वारा रखी राशि में से किसी भी राशि की सीमा तक वर्ष में एक बार आहरण किया जा सकता है। एक वर्ष से अधिक समय तक खाते में राशि जमा नहीं करने पर अंशदाता द्वारा जमाराशियों के साथ खाते को पुनः जारी रखने के विकल्प का चलन नहीं किया जा सकता। तथापि, वह मौजूदा परिपक्व खाते के साथ-साथ एक नया खाता तबतक नहीं खोल सकता जबतक कि पुराना खाता बंद नहीं किया जाता।
ब्याज दर :
- वित्त मंत्रालय द्वारा तिमाही आधार पर अधिसूचना जारी करने के अनुसार। 5 तारीख और महीने के अंतिम दिनांक के दौरान न्यूनतम राशि पर ब्याज की गणना की जाती है।
ब्याज की गणना की बारंबारता :
- प्रति वर्ष 31 मार्च को ब्याज जमा किया जाता है।
कर के पहलू:
- ब्याज को आयकर से पूरी छूट है। निधि में अंशदाता के जमा की राशि को संपत्ति कर से पूर्णतया छूट प्राप्त है।
किया जाने वाला निवेश :
- एक वित्तीय वर्ष में अंशदान की राशि रु.500/- से कम तथा रु.1,50,000/- से अधिक नहीं होनी चाहिए। अंशदान की अधिकतम संख्या वर्ष में 12 से अधिक नहीं होनी चाहिए। राशि एकमुश्त रूप में भी जमा की जा सकती है। अंशदाता द्वारा वर्ष में अधिकतम 12 किश्तों से अधिक बार भुगतान न किए जाने के अधीन एक माह में एक से अधिक बार अंशदान कर सकता है। वह अपनी सुविधा के अनुसार राशि में परिवर्तन सकता है।
- अंशदाता द्वारा खाता खोलने के बाद आगे के वर्षों में न्यूनतम राशि का अंशदान करने में असफल होने पर खाते को अनियमित माना जाएगा। ऐसे मामलों में उसे दूसरा पीपीएफ खाता खोलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। खाते को जारी रखने के लिए खाताधारक को अपने अनियमित खाते को पुनर्जीवित करवाना होगा। खाते को पुनर्जीवित नहीं करवाने की स्थिति में, खाताधारक को अपने खाते में ब्याज सहित शेष राशि केवल 15 वर्षों की परिपक्वता अवधि की समाप्ति के बाद ही मिल पाएगी जिसमें समय-समय पर निर्धारित दर के अनुसार प्रति वर्ष योग होता रहेगा। ऐसे खातों के लिए आहरण/ ऋण की सुविधा नहीं है।
- ऐसे अनियमित खातों को पुनर्जीवित करने के लिए प्रति वर्ष रु.500/- के न्यूनतम अंशदान के साथ प्रति वर्ष रु.50/- का दंड वसूला जाएगा। इस प्रकार प्राप्त दंड की राशि को सरकार के खाते में प्रेषित किया जाएगा, उसे संबंधित पीपीएफ खाते या बैंक के लाभ एवं हानि खाते में जमा नहीं किया जाएगा।
- अंशदाता द्वारा प्रति वर्ष के लिए रु.50/- के चूक शुल्क के साथ-साथ रु.500/- की न्यूनतम अंशदान राशि के जमा की जा सकती है बशर्ते कि चूक अंशदान जमा करने वाले वर्ष के दौरान कुल जमा की राशि अधिकतम जमा सीमा से अधिक न हो।
ऋण :
- एक वर्ष की समाप्ति के बाद किसी भी समय खाता खोलने के वर्ष के अंत से किंतु 5 वर्ष की समाप्ति के पहले अंशदाता द्वारा ऋण प्राप्ति हेतु आवेदन किया जा सकता है।
- खाता खोलने के वित्तीय वर्ष से 6 वित्तीय वर्ष की समाप्ति के बाद कोई ऋण नहीं लिया जा सकता।
आहरण :
- वित्तीय वर्ष के दौरान केवल एक बार आहरण की अनुमति है।
- शुरूआती अंशदान वर्ष से 5 वर्ष की समाप्ति के बाद किसी भी समय पहला आहरण किया जा सकता है।
- तत्पश्चात प्रत्येक वर्ष में आहरण की अनुमति है, जोकि चौथे वर्ष की समाप्ति पर जमा शेष के अधिकतम 50% तक सीमित होगी और यह निकाली जाने वाली राशि के वर्ष से तत्काल पूर्ववर्ती वर्ष अथवा पूर्ववर्ती वर्ष की समाप्ति इनमें से जो कम है, होगी।
- यदि परिपक्वता के बाद पीपीएफ खाते को आगे के 5 वर्षों के लिए जारी रखा जाता है तो अंशदाता प्रति वर्ष अधिकतम एक बार आंशिक आहरण हेतु पात्र होता है बशर्ते 5 वर्ष की ब्लॉक अवधि के दौरान कुल आहरण उक्त अवधि की प्रारंभिक राशि का 60% से अधिक न हो। यह राशि एक किश्त में भी आहरित की जा सकती है। आहरण की यह सीमा 5 वर्षों की ब्लॉक अवधि के प्रत्येक विस्तारण की शुरूआत पर लागू होगी।
- अवयस्क के खाते से आहरण करते समय अभिभावक को एक प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा कि आहरित राशि का इस्तेमाल अवयस्क के लिए किया जाएगा जो वर्तमान में जीवित है और अभी भी अवयस्क है।
अंशदाता की मृत्यु के बाद नामांकन और पुनर्भुगतान
- अंशदाता द्वारा एक या अधिक व्यक्तियों को नामित किया जा सकता है जो उसकी मृत्यु होने पर उसकी जमाराशि को प्राप्त कर सकता है। अवयस्क के बदले खाता खोलने पर कोई भी नामांकन नहीं किया जा सकता।
- अंशदाता द्वारा किए गए नामांकन को रद्द किया जा सकता है या नए नामांकन के साथ बदला जा सकता है।
- नामिती के अवयस्क होने पर अंशदाता द्वारा किसी व्यक्ति को नामित किया जा सकता है जो नामिती की अवयस्कता के दौरान अंशदाता की मृत्यु होने पर राशि प्राप्त कर सकता है।
- अंशदाता की मृत्यु होने की स्थिति में 15 वर्ष पूर्ण न होने के बावजूद उसके नामिती को उसके द्वारा जमाराशि दी जा सकती है।
- यदि अंशदाता की मृत्यु हो जाती है और किसी नामांकन का उल्लेख न होने पर खाते की राशि रु. एक लाख तक होने की स्थिति में उसे मरने वाले के कानूनी उत्तराधिकारी से उत्तराधिकार प्रमाणपत्र प्राप्त किए बिना सहयोगी आवश्यक दस्तावेजों के साथ आवेदन की प्राप्ति पर भुगतान किया जा सकता है। रु. एक लाख से अधिक राशि होने पर उत्तराधिकार प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य है।
- अंशदाता की मृत्यु होने पर पीपीएफ खाते के शेष पर ब्याज मिलना बंद नहीं होता। मृतक अंशदाता के नामिती/ कानूनी उत्तराधिकारी को जमा का भुगतान किए जाने वाले पूर्ववर्ती माह के अंत तक ब्याज दिया जाता है।
- चूंकि पीपीएफ खाते को एक व्यक्ति से दूसरे के पास हस्तांतरित नहीं किया जा सकता, अत: अंशदाता की मृत्यु होने पर नामिती द्वारा खाते को अपने नाम पर नहीं जारी रखा जा सकता।